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विचार ही वस्तु बन जाते हैं (Thoughts become things)!!_राम प्रकाश मौर्य जी IRS कलम से

विचार ही वस्तु बन जाते हैं (Thoughts become things)!!_ बहुत सारे लोग, ख़ास तौर पर बहुत सारे स्टूडेंट्स, विभिन्न प्लैटफॉर्म्स पर मुझसे यह सवाल करते हैं कि आप शुद्ध गांव के होकर भी, पूर्ण अशिक्षित वातावरण और पृष्ठभूमि में रहकर भी, आर्थिक अभाव से गुज़र कर भी और ज़्यादा आकर्षक व्यक्तित्त्व के न होते हुए भी, बिना किसी नियमित कोचिंग के, सिविल सर्विसेज एग्जाम इतनी कम उम्र में पास कर लिए, ये कैसे हुआ ?? यक़ीन कीजिये ये सवाल मेरे मन मे भी आता है। एक महत्त्वपूर्ण चीज़ जो मैं दिल से महसूस करता हूं वो यह है कि मुझे मेरे विचारों ने बनाया है। किसी पश्चिमी मनोवैज्ञानिक ने कहा है कि "विचार ही वस्तु बन जाते हैं" (Thoughts become things)! गांव के गरीब और साधनहीन बच्चों को प्रेरणा देने के लिए , उनसे जुड़ने के क्रम में , अभी सितंबर में अपनी पूज्य माताजी की पहली पुण्यतिथि पर अपने विद्यालय के बच्चों के बीच बोल रहा था तो भी यह सवाल आया था। "विचार ही वस्तु बन जाते हैं" इस वाक्य का सामान्य अभिप्राय यही है कि हम जैसा अपने बारे में सोचते रहते हैं , वैसा होते चले जाते हैं। यानी " प्राप्य के व...

"जन जागरूकता और विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता समय की मांग"

ग्रामीण विकास के लिए पिछले 71 वर्षों में किए गए प्रयासों के मूल्यांकन और पुनरावलोकन से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पर्याप्त बजट ग्रामीण विकास के लिए आवंटित किया और प्रशासनिक मशीनरी तथा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया| इसके बावजूद भी गांवों से शहरों की ओर पलायन एक सामान्य प्रक्रिया है| गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं| बच्चों का कुपोषण, प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव, पेयजल और बिजली के लिए तरसते गांव, बच्चों और युवाओं अंधकारमय भविष्य, बाल विवाह, सामाजिक भेदभाव इत्यादि समस्याएं जस की तस बनी हुई है| गांवों की यह स्थिति सोचने को मजबूर करती है कि ऐसा क्या कारण है कि केंद्र और राज्य सरकारें भारी भरकम बजट खर्च करने तथा पंचायत प्रतिनिधियों के प्रयासों के बावजूद गांवों का विकास करने में असमर्थ रही हैं| सोच बदलो गांव बदलो टीम के थिंक टैंक का मानना है कि इसका एकमात्र कारण लोगों में जन जागरूकता का अभाव और गांव के विकास में गांव वालों की सक्रिय सहभाग...

"राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हमारी सहभागिता"

                                   "राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हमारी सहभागिता" राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हमारी क्या सहभागिता होनी चाहिए यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है| आज भी हम पुरानी मानसिकता और सामाजिक बंधनों से बाहर नहीं आ पाए हैं| आज भी हम व्यक्ति को उसके जाति, धर्म और नस्ल के आधार पर देखते हैं और व्यवहार करते हैं| आज भी हम लोकतांत्रिक संस्थाओं में केवल संकुचित दृष्टिकोण और निहित स्वार्थों की वजह से प्रवेश करते हैं| आज भी नेतृत्व करता और आमजन के बीच भेदभाव की खाई बहुत गहरी है| आज भी सामान्य आदमी प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने और अपने अधिकारों की बात रखने से डरता है| हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और लोकतांत्रिक परंपराओं को और अधिक सिंचित करने की और मजबूत करने की आवश्यकता है| देश के प्रत्येक व्यक्ति को इन मूल्यों में ना केवल विश्वास रखना होगा बल्कि उन्हें जीवन में उतारना होगा| एक स्वस्थ और सुदृढ़ लोकतांत्रिक समाज की स्थापना द्वारा ही सामाजिक ताने बाने को बनाए रखा जा सकता है और एक सम...

"SBGBT_27 वां पड़ाव #कसारा गॉव, मासलपुर, करौली"

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सोच बदलो - गाँव बदलो Transform Thought-Transform Village सोच_बदलो_गांव_बदलो_यात्रा दिनांक *18/09/2018* को गाँव *कसारा (मासलपुर)* में *SBGBT* की *27 वीं मीटिंग* का आयोजन किया गया। आपको जानकर खुशी होगी कि यह मीटिंग अब तक की सबसे लंबे समय तक चलने वाली मीटिंग रही। इस मीटिंग की विशेष बात यह रही कि इसमें कसारा गॉव की महिलाएं भी शामिल हुई थीI सभी साथियों द्वारा व्यावहारिक और अनुभव आधारित बातों से ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया। जिसमें टीम के वरिष्ठ कार्यकर्ता देवेन्द्र भाई साहब ने स्वयं और हमारे पॉवरमैन (देवेन्द्र जी) की भूमिका का एक साथ बखूबी निर्वहन किया। देवेन्द्र जी के द्वारा प्रस्तुत विचार बेहद जमीनी, प्रासंगिक, यादगार और अभूतपूर्व थे। (1) सोच बदलो गॉव बदलो टीम के अन्य कार्यकर्ता अजय रावत, हेमू सर, रूपसिंह जी धर्मवीर जी, संतराम जी, विजय कसारिया, कप्तान जी के द्वारा कसारा गॉव के युवाओं और गॉव वालों में जोश और उत्साह भर दियाI युवा विकास समिति मासलपुर के वरिष्ठ सदस्य मनोज मल्होत्रा जी,जीतू भाई, नरेश भाई और शिवराम जी व अन्य सदस्यो के द्वारा भी भाग लेकर बहुत ही बढ़िया उत्साहवर्धन...

“स्मार्ट गाँव धनौरा _विकास की गाथा”

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“सोच बदलो-गाँव बदलो [Transform Thought-Transform Village]” SBGBT 1वां पड़ाव #गाँव धनौरा, बाड़ी , धौलपुर [ दिनांक  14 मई 2017] सोच बदलो – गाँव बदलो यात्रा का शुभारंभ डॉ. सत्यपाल जी की जन्मभूमि स्मार्ट विलेज धनौरा  से दिनांक 14 मई 2017 को हुआ| धनौरा गाँव भारत का पहला स्मार्ट विलेज बनकर उभरा है| ग्रामीण विकास के इस मॉडल और विचार को  दूसरे गांवों तक पहुंचाने के लिए सोच बदलो गांव बदलो यात्रा का शुभारंभ यही से किया गया है| सोच बदलो गांव बदलो यात्रा  के विषय में विस्तृत रूप से बताने के लिए धनोरा गांव के अब तक के सफर पर एक नजर- 1.  धनौरा गांव, बाड़ी (धौलपुर, राजस्थान) कस्बे से 5 किमी की दूरी पर उत्तर पूर्व में एक छोटा सा गांव है । धनौरा गांव ने पिछले 4-5 वर्षों में विकास की नई गाथा गढ़ी है । जिससे यह गाँव देश का पहला 'स्मार्ट गाँव' बनकर उभरा है । 2. स्मार्ट विलेज 'धनौरा' डॉ. सत्यपाल सिंह के विजन, ग्रामीणों की सक्रिय जन सहभागिता, सरकार व जिला प्रशासन के सहयोग और Eco-Needs फाउंडेशन (प्रेसिडेंट प्रोफेसर प्रियानंद अगड़े) के निस्वार्थ प्रयासों का परिणाम है ।...

“सोच बदलो - गाँव बदलो” [Transform Thought-Transform Village]

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                                 “सोच बदलो-गाँव बदलो [Transform Thought-Transform Village]”                                                             Benchmark of Achievements at a glance of a Year The ambitious programme of “Soch Badlo Gaon Badlo”, an eminent team of volunteers, has emerged as one of the most broadcasted mass movement. On the first foundation anniversary of SBGBT, people’s awareness and the sensitivity towards the mission has been evaluated and assessed on the successive graph by the (SBGBT). The ( SBGBT) has shown their true and selfless sprit and leaded many transforming and successive programmes like Soch badlo-gaam badlo yatra (Transform thoughts transform village march), Green village-clean village abhiyan, Aawo...

"अच्छाई और बुराई का आत्मिक पैमाना"

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“सोच बदलो-गाँव बदलो [Transform Thought-Transform Village]”                                                                                                                                                                                          दोस्तों सुप्रभात!   हम सभी के जीवन में एक समय आता है; जब हमें सही या गलत का निर्णय करना होता है और दोनों में से एक का चुनाव करना होता है। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमें पता हो कि सही क्या है और गलत क्या है। दोस्तों इसके विषय में, मैं, अपने अनुभव पर आधारित, "अच्छाई और...

"लोगों की सक्रिय भागीदारी विकास का आधार"

                              "लोगों की सक्रिय भागीदारी विकास का आधार" गांवों या शहरों में अपेक्षित विकास के अभाव का कारण, सरकारी योजनाओं और सरकारी निधि (FUND) की कमी नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं व उनके क्रियान्वयन की प्रकिया की सही जानकारी का अभाव तथा सरकारी निधि के सदुपयोग के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है। वर्तमान में विकास प्रकिया में सक्रिय जन भागीदारी अथवा जन सहभागिता का अभाव ही नहीं, बल्कि पूर्ण उदासीनता भी है । "कोउ नृप होउ, हमें का हानि" कहावत आज भी प्रासंगिक है । लोकतंत्र केवल एक चुनावी प्रकिया मात्र बनकर रह गया है और चुनाव आज भी जाति, धर्म, संप्रदाय की राजनीति के इर्द-गिर्द धनबल, गुंडागर्दी, घृणा और नफरत फैलाने वाले हथियारों के सहारे संचालित हैं। स्वास्थ्य सुविधाएँ, अच्छी शिक्षा, स्वच्छ पेयजल, आवास सुविधा, कानून व्यवस्था इत्यादि आज भी हमारे लिए कभी सच न होने वाले सपने हैं। इन परिस्थितियों में केवल सरकार और प्रशासन की आलोचना करना और अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन न करना लोकतंत्र का सबसे बड़ा अ...

"समाजीकरण समरसता का आधार"

                              समाजीकरण समरसता का आधार: मनुष्य जन्म से एक संगठित शारीरिक ढांचा होता है; जिसके अंदर विकसित होने की अपार संभावनाए होती हैं। उसका न कोई नाम होता है और न ही जाति, धर्म और संप्रदाय होता है। वह न कोई भाषा जानता और न ही वह देश काल और समाज को पहचानता है। परंतु अपनी विकसित होने की अपार क्षमताओं के दम पर अपना विकास करता है। घर और समाज उसे उसकी पहचान देता है। घर में, समाज में उसे किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, यह सब उसे घर-परिवार के सदस्यों, विद्यालय के गुरुओं और मित्रों, आस-पास के लोगों और रिश्तेदारों-परिचितों के आचरण और उनके बताने से सीखने को मिलता है। परिवार, मित्र, रिश्तेदार-परिचित, पड़ोसी, शिक्षा, राज्य और जनसंपर्क के साधन समाजीकरण के माध्यम हैं। सीखने और सिखाने की इसी प्रक्रिया को समाजीकरण कहा जाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में समाजीकरण की सबसे प्रमुख भूमिका होती है। व्यक्ति जन्म से ही अपने गुणों को प्राप्त नहीं करता है, बल्कि समाज के सदस्य के रूप में वह धीरे-धीरे अर्जि...

"स्मार्ट गाँव धनौरा के विकास की कहानी"

"जहाँ चाह वहाँ राह" इस कथनी को चरितार्थ करती है धनोरा गाँव के विकास की कहानी। धौलपुर (राजस्थान) का अति पिछड़ा गाँव, जो विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर था, परंतु ग्रामीणों के सहयोग, प्रशासन की सहायता और EcoNeeds फ़ाउंडेशन के प्रयासों ने इस गाँव को स्मार्ट गाँव में बदल दिया। अभी तक जो काम हुए हैं, वो हैं: १. ज़िला प्रशासन द्वारा 822 शौचालयों का निर्माण और लोगों द्वारा उपयोग शुरू। २. धौलपुर ज़िले का पहला ओडीएफ़(Open defecation free) पंचायत घोषित। ३.देश का संभवतया पहला गाँव जिसमें सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा। इस हेतु अत्याधुनिक टेक्नॉलजी' का उपयोग। ४. गाँव का रोड ५ फ़ीट से चोड़ा होकर १४ फ़ीट तक हुआ। गाँव के अंदर पूरा रास्ता ६ इंच सीसी, जो कि अंतर्राष्ट्रीय लेवल का है, बनकर तैयार। ५. गाँव का ३ड़ी मैपिंग पूरी जो कि जो कि डिजिटल विलिज की और एक क़दम। ६. पानी बचाने के प्रयास के तहत दो किलोमीटर नाले का निर्माण। ७. लोगों के चरित्र निर्माण हेतु शराब बंदी, जुआबंदी पर काम जारी। ८."अपराध मुक्त गाँव" (no criminal case pendi...