"जन जागरूकता और विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता समय की मांग"
ग्रामीण विकास के लिए पिछले 71 वर्षों में किए गए प्रयासों के मूल्यांकन और पुनरावलोकन से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पर्याप्त बजट ग्रामीण विकास के लिए आवंटित किया और प्रशासनिक मशीनरी तथा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया| इसके बावजूद भी गांवों से शहरों की ओर पलायन एक सामान्य प्रक्रिया है| गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं| बच्चों का कुपोषण, प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव, पेयजल और बिजली के लिए तरसते गांव, बच्चों और युवाओं अंधकारमय भविष्य, बाल विवाह, सामाजिक भेदभाव इत्यादि समस्याएं जस की तस बनी हुई है| गांवों की यह स्थिति सोचने को मजबूर करती है कि ऐसा क्या कारण है कि केंद्र और राज्य सरकारें भारी भरकम बजट खर्च करने तथा पंचायत प्रतिनिधियों के प्रयासों के बावजूद गांवों का विकास करने में असमर्थ रही हैं| सोच बदलो गांव बदलो टीम के थिंक टैंक का मानना है कि इसका एकमात्र कारण लोगों में जन जागरूकता का अभाव और गांव के विकास में गांव वालों की सक्रिय सहभागिता नहीं होना है|
1. वर्तमान में भी सरकार द्वारा कराए जा रहे कार्यों को लोग अपना नहीं समझते हैं| सरकारी कार्यों के क्रियान्वयन और निगरानी में गांव के लोगों की भूमिका नगण्य होती है| सरकार द्वारा दिया गया बजट उनके विकास के लिए है; यह विचार लोगों के मन में दूर-दूर तक भी नहीं होता है|
2. सरपंच का चुनाव लड़ना और चुनाव जीतना केवल दो उद्देश्यों तक सीमित रह गया है| पहला- प्रत्येक व्यक्ति सरपंच बन कर करोड़पति बनना चाहता है| सरपंच का चुनाव एक व्यवसाय की तरह माना जाता है और काफी हद तक यह ठीक भी है| दूसरा गांव में सरपंच का चुनाव शान शौकत और प्रतिष्ठा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है| इसके लिए गांव के गरीब की भावनाओं का पूरा दुरुपयोग किया जाता है| गांवों में वैमनस्यता और दुश्मनी का बहुत बड़ा कारण भी सरपंच का चुनाव रहा है| इसके लाखों उदाहरण गांवों में देखने को मिल जाते हैं| यहां तक कि सरपंच पद के दावेदार व्यक्तियों द्वारा युवाओं को अपने अपने लुभावने षड्यंत्रों में फसा कर उनका जीवन बर्बाद किया जाता है|
3. ग्राम सेवक, सरपंच और सरपंच प्रतिनिधि/ सरपंच पति गांव के लिए क्या योजना बना रहे हैं? कितना बजट किस कार्य के लिए सरकार द्वारा मंजूर हुआ है? इसका पता कभी-कभी सरपंच को भी नहीं होता है| गांव के विकास की कोई भी ठोस हो योजना किसी के पास नहीं होती है|
4. गांव के विकास के लिए आने वाला बजट बिना किसी योजना की ऐसे कार्य में खर्च किया जाता है जिससे किसी भी प्रकार का संस्थागत विकास नहीं हो पाता है| बजट का ज्यादातर भाग ऐसे कार्यों में खर्च किया जाता है; इसके द्वारा किसी भी प्रकार का आधारभूत ढांचा खड़ा नहीं होता है|
5. भारतीय संविधान निर्माताओं ने पंचायती राज संस्था के अनूठे और अद्वितीय प्रावधान 73वें संविधान संशोधन द्वारा किए गए परंतु ग्रामीण विकास के लिए जो सपना देखा गया वह पूरी तरह से अभी नहीं रहा है|
6. सरकार और प्रशासन की अपनी मजबूरियां हैं और कठिनाइयां है| एक जिला कलेक्टर और एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा जिले के सभी गांवों के विकास की योजनाओं को क्रियान्वित किए जाने की जिम्मेदारी होती है| परंतु यह मानवीय क्षमताओं से परे है एक व्यक्ति सभी योजनाओं की क्रियान्वित को व्यवस्थित ढंग मॉनिटर कर सके|
7. यह सभी समस्याएं सभी गांवों में कमोबेश समान है| ऐसी परिस्थितियों में इसका क्या समाधान हो सकता है| किस तरह हम ग्रामीण विकास के क्षेत्र लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं| इस समस्या का वास्तविक समाधान सोच बदलो गांव बदलो टीम के कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों में जन जागरूकता पैदा कर और ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाकर किया जा रहा है:-
i. विकास की जन चेतना पैदा करने और विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए सोच बदलो गांव बदलो टीम द्वारा जमीनी धरातल पर प्रयास किए जा रहे हैं| जिन जिन गांव में लोगों ने सक्रिय भागीदारी निभाई है वह ना केवल जमीनी बदलाव आ रहे हैं बल्कि सरकार के द्वारा आ रहे बजट का भी सदुपयोग किया जा रहा है|
ii. संविधान द्वारा प्रदत्त सामाजिक ऑडिट का कंसेप्ट जमीनी धरातल पर साकार हो रहा है| सरकारी योजनाओं और सरकारी बजट पर लोगों की निगरानी बड़ी है|
iii. धौलपुर, करौली तथा सवाई माधोपुर के सैकड़ों गांव में युवाओं ने इस मुहिम का हिस्सा बन अपनी अपने गांव को विकास की राह पर ले जाने का अनूठा और अद्वितीय प्रयास शुरू किया है|
iv. युवाओं द्वारा ग्राम विकास समितियों का गठन किया जा रहा है| गांव के रास्तों को चौड़ा करने तथा वृक्षारोपण का कार्य अपने हाथ में लिया जा रहा है| पेयजल समस्याओं तथा जल संरक्षण जैसी समस्याओं पर जमीनी स्तर पर कार्य किया जा रहा है| विद्यालय में बच्चों की शिक्षा तथा युवाओं को सही मार्गदर्शन देने का भी कार्य किया जा रहा है|
v. एक ओर जहां सरपंच और सरपंच प्रतिनिधियों द्वारा किए गए कार्यों की गहन निगरानी की जा रही है वहीं दूसरी ओर गांव के विकास के लिए योजनाएं बनाई जा रहे हैं|
vi. यह सब लोगों में जन जागरूकता पैदा करने और विकास की जन चेतना पैदा करने के प्रयासों के माध्यम से हो पा रहा है|
vii. युवाओं की जो शक्ति / ऊर्जा नकारात्मक और विध्वंसात्मक कार्यों में खर्च हो रही थी; वही ऊर्जा और शक्ति सोच बदलो गांव बदलो टीम के प्रयासों से सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लग रही है|
निष्कर्ष:-
इस संपूर्ण विचार विमर्श का निष्कर्ष यह है कि हम लोगों को अपनी पूरी ताकत लोगों को जागरूक करने में लगाने की आवश्यकता है| जन जागरूकता लोगों को विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करेगी| गांव के लोग अपने विकास की योजनाएं बनाने लगेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं का सही सही लाभ उसके हकदार हो तक पहुंचेगा| सोच बदलो गांव बदलो टीम उस प्रत्येक व्यक्ति से अपील करती है जिसकी जड़ें गांव से हैं या जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गांव से जुड़ा हुआ है कि आओ अपना फर्ज अदा करें और लोगों में जन जागरूकता पैदा करें विकास की जन चेतना पैदा करें और अपनी सक्रिय सहभागिता के गांवों के विकास में अपना योगदान दें| गांव का विकास होगा तभी देश का विकास होगा| देश संगठित,समृद्ध और सुरक्षित बनेगा| Join SBGBT - https://www.facebook.com/groups/SBGBTEAM/
1. वर्तमान में भी सरकार द्वारा कराए जा रहे कार्यों को लोग अपना नहीं समझते हैं| सरकारी कार्यों के क्रियान्वयन और निगरानी में गांव के लोगों की भूमिका नगण्य होती है| सरकार द्वारा दिया गया बजट उनके विकास के लिए है; यह विचार लोगों के मन में दूर-दूर तक भी नहीं होता है|
2. सरपंच का चुनाव लड़ना और चुनाव जीतना केवल दो उद्देश्यों तक सीमित रह गया है| पहला- प्रत्येक व्यक्ति सरपंच बन कर करोड़पति बनना चाहता है| सरपंच का चुनाव एक व्यवसाय की तरह माना जाता है और काफी हद तक यह ठीक भी है| दूसरा गांव में सरपंच का चुनाव शान शौकत और प्रतिष्ठा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है| इसके लिए गांव के गरीब की भावनाओं का पूरा दुरुपयोग किया जाता है| गांवों में वैमनस्यता और दुश्मनी का बहुत बड़ा कारण भी सरपंच का चुनाव रहा है| इसके लाखों उदाहरण गांवों में देखने को मिल जाते हैं| यहां तक कि सरपंच पद के दावेदार व्यक्तियों द्वारा युवाओं को अपने अपने लुभावने षड्यंत्रों में फसा कर उनका जीवन बर्बाद किया जाता है|
3. ग्राम सेवक, सरपंच और सरपंच प्रतिनिधि/ सरपंच पति गांव के लिए क्या योजना बना रहे हैं? कितना बजट किस कार्य के लिए सरकार द्वारा मंजूर हुआ है? इसका पता कभी-कभी सरपंच को भी नहीं होता है| गांव के विकास की कोई भी ठोस हो योजना किसी के पास नहीं होती है|
4. गांव के विकास के लिए आने वाला बजट बिना किसी योजना की ऐसे कार्य में खर्च किया जाता है जिससे किसी भी प्रकार का संस्थागत विकास नहीं हो पाता है| बजट का ज्यादातर भाग ऐसे कार्यों में खर्च किया जाता है; इसके द्वारा किसी भी प्रकार का आधारभूत ढांचा खड़ा नहीं होता है|
5. भारतीय संविधान निर्माताओं ने पंचायती राज संस्था के अनूठे और अद्वितीय प्रावधान 73वें संविधान संशोधन द्वारा किए गए परंतु ग्रामीण विकास के लिए जो सपना देखा गया वह पूरी तरह से अभी नहीं रहा है|
6. सरकार और प्रशासन की अपनी मजबूरियां हैं और कठिनाइयां है| एक जिला कलेक्टर और एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा जिले के सभी गांवों के विकास की योजनाओं को क्रियान्वित किए जाने की जिम्मेदारी होती है| परंतु यह मानवीय क्षमताओं से परे है एक व्यक्ति सभी योजनाओं की क्रियान्वित को व्यवस्थित ढंग मॉनिटर कर सके|
7. यह सभी समस्याएं सभी गांवों में कमोबेश समान है| ऐसी परिस्थितियों में इसका क्या समाधान हो सकता है| किस तरह हम ग्रामीण विकास के क्षेत्र लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं| इस समस्या का वास्तविक समाधान सोच बदलो गांव बदलो टीम के कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों में जन जागरूकता पैदा कर और ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाकर किया जा रहा है:-
i. विकास की जन चेतना पैदा करने और विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए सोच बदलो गांव बदलो टीम द्वारा जमीनी धरातल पर प्रयास किए जा रहे हैं| जिन जिन गांव में लोगों ने सक्रिय भागीदारी निभाई है वह ना केवल जमीनी बदलाव आ रहे हैं बल्कि सरकार के द्वारा आ रहे बजट का भी सदुपयोग किया जा रहा है|
ii. संविधान द्वारा प्रदत्त सामाजिक ऑडिट का कंसेप्ट जमीनी धरातल पर साकार हो रहा है| सरकारी योजनाओं और सरकारी बजट पर लोगों की निगरानी बड़ी है|
iii. धौलपुर, करौली तथा सवाई माधोपुर के सैकड़ों गांव में युवाओं ने इस मुहिम का हिस्सा बन अपनी अपने गांव को विकास की राह पर ले जाने का अनूठा और अद्वितीय प्रयास शुरू किया है|
iv. युवाओं द्वारा ग्राम विकास समितियों का गठन किया जा रहा है| गांव के रास्तों को चौड़ा करने तथा वृक्षारोपण का कार्य अपने हाथ में लिया जा रहा है| पेयजल समस्याओं तथा जल संरक्षण जैसी समस्याओं पर जमीनी स्तर पर कार्य किया जा रहा है| विद्यालय में बच्चों की शिक्षा तथा युवाओं को सही मार्गदर्शन देने का भी कार्य किया जा रहा है|
v. एक ओर जहां सरपंच और सरपंच प्रतिनिधियों द्वारा किए गए कार्यों की गहन निगरानी की जा रही है वहीं दूसरी ओर गांव के विकास के लिए योजनाएं बनाई जा रहे हैं|
vi. यह सब लोगों में जन जागरूकता पैदा करने और विकास की जन चेतना पैदा करने के प्रयासों के माध्यम से हो पा रहा है|
vii. युवाओं की जो शक्ति / ऊर्जा नकारात्मक और विध्वंसात्मक कार्यों में खर्च हो रही थी; वही ऊर्जा और शक्ति सोच बदलो गांव बदलो टीम के प्रयासों से सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लग रही है|
निष्कर्ष:-
इस संपूर्ण विचार विमर्श का निष्कर्ष यह है कि हम लोगों को अपनी पूरी ताकत लोगों को जागरूक करने में लगाने की आवश्यकता है| जन जागरूकता लोगों को विकास प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करेगी| गांव के लोग अपने विकास की योजनाएं बनाने लगेंगे और विभिन्न सरकारी योजनाओं का सही सही लाभ उसके हकदार हो तक पहुंचेगा| सोच बदलो गांव बदलो टीम उस प्रत्येक व्यक्ति से अपील करती है जिसकी जड़ें गांव से हैं या जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गांव से जुड़ा हुआ है कि आओ अपना फर्ज अदा करें और लोगों में जन जागरूकता पैदा करें विकास की जन चेतना पैदा करें और अपनी सक्रिय सहभागिता के गांवों के विकास में अपना योगदान दें| गांव का विकास होगा तभी देश का विकास होगा| देश संगठित,समृद्ध और सुरक्षित बनेगा| Join SBGBT - https://www.facebook.com/groups/SBGBTEAM/
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