“उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी”
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उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी “पैसों की तंगी-तालीम के आड़े नहीं आती" इस कहावत को और महान कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रश्मिरथी में लिखित पंक्तियों “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है” को सार्थक करती है। यह सर्व विदित है कि मानव जाति के विकास की आधारशिला शिक्षा है। एक सुव्यवस्थित शिक्षा प्रणाली ही मानव को सुसंस्कृत, संवेदनशील एवं विवेकशील बनाने के साथ विचारवान भी बनाती है। शिक्षा ही किसी भी समाज एवं राष्ट्र के विकास,उसकी समृद्धि एवं संपन्नता का मूल होती है। किसी भी समाज और राष्ट्र का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उस समाज और राष्ट्र में लोगों को कितनी गुणवत्तापूर्ण सुलभ शिक्षा उपलब्ध है।
भारत की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा गांवों में वास करता है। ऐसे में गांवों के विकास द्वारा ही देश का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है और शिक्षा की इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। “उत्थान-भवन सरमथुरा" इस क्षेत्र के लोगों की शिक्षा के प्रति जागरूकता और अपने बच्चों को शिक्षित करने की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है। सरमथुरा धौलपुर जिले का एक छोटा सा कस्बा है जहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियां, जागरूकता का अभाव, शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ापन, सीमित संसाधन एवं सीमित रोजगार के अवसर, यहाँ के विकास और उन्नति में बाधक रहे। सरमथुरा क्षेत्र शिक्षा के माध्यमों की कमी से हमेशा से जूझता रहा है, इस वृहद ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थी अभावों में अपनी स्कूली शिक्षा तो पूर्ण कर लेते हैं लेकिन परिवार की विषम आर्थिक परिस्थितियों के चलते वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बाहर किसी शहर में नहीं जा सकते। फलस्वरूप, उनका कैरियर स्कूली शिक्षा प्राप्त करने तक ही सीमित रह जाता था और युवाओं को या तो सीमित पत्थर की खदानों में खनन कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ता था या फिर वे बेरोज़गारी की ठोकरें खाते रहते थे।
इन विषम परिस्थितियों में सोच बदलो-गांव बदलो टीम ने क्षेत्र लिए एक आशा की किरण के रूप में जन्म लिया। टीम ने क्षेत्र के गरीब एवं कमजोर तबके के विद्यार्थियों के सपनों को पंख लगाने के उद्देश्य से सरमथुरा में किराए के मकान में निशुल्क कोचिंग का संचालन शुरू किया। लंबे समय तक किराए के भवन में कोचिंग चलाने के पश्चात समाज एवं जनहितैषी टीम के कर्णधारों के मन- मस्तिष्क में एक कल्पना प्रस्फुटित हुई और गरीब शिक्षार्थियों की निर्बाध रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए स्वयं का एक भवन बनाने का सपना संजोया। इस सपने को साकार रूप देने के लिए सर्वप्रथम टीम के संस्थापक सदस्यों ने भूमि की क्रय लागत एवं भवन निर्माण की अनुमानित लागत का आकलन किया। प्रयासों की एक लंबी श्रृंखला के बाद टीम के सदस्यों ने धन संग्रहण की प्रक्रिया शुरू की। कोर टीम के सदस्यों ने भूमि क्रय की लागत का बंदोबस्त कर सरमथुरा में उपयुक्त स्थान पर भवन निर्माण के लिए भूमि चिन्हित की। तत्पश्चात भूमि के क्रय संबंधी समस्त प्रक्रियाओं को कुछ ही समय में पूर्ण कर लिया गया। उसके पश्चात् टीम अपने दृढ़ संकल्प के साथ लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में निरंतर अग्रसर रही और कुछ ही समय में समाज के बुद्धिजीवियों, बुजुर्गों एवं युवाओं का विश्वास हासिल कर लिया। इसके बाद तो सभी सदस्यों का हौसला सातवें आसमान पर था, हो भी क्यों ना, जो निस्वार्थ भाव से क्षेत्र के गरीब एवं मजदूर तबके के बच्चों के सपनों को पंख लगाने के लिए निरंतर चिंतनशील और प्रयत्नशील हैं। “पैसों की तंगी तालीम के आड़े नहीं आती" इसी कथन को चरितार्थ करते हुए उत्थान भवन के निर्माण की प्रक्रिया ने गति पकड़ ली और 26 दिसंबर 2018 को इस भावनाओं के भवन "उत्थान" की समाज के बुजुर्गों द्वारा आधारशिला रखी गई। टीम ने भूमि पूजन कार्यक्रम में उपस्थित जन समूह में बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए संकल्प लिया कि टीम इस भवन के निर्माण कार्य को 5 माह के अंदर पूर्ण कर इसे विद्यार्थियों के लिए समर्पित कर देगी। इसी निर्धारित समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए टीम के सदस्यों ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात एक कर दिए। कर्मचारियों एवं व्यवसायियों ने तो इस पुनीत कार्य के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ न्योछावर कर ही दिया लेकिन इसके साथ-साथ उस गरीब मज़दूर का हौसला देखते ही बनता था जो भावनाओं के भवन 'उत्थान' के निमित्त, परमार्थ के लिए एक सेठ जी से ब्याज पर ऋण लेकर उस बेशकीमती धनराशि की उत्थान के इस महायज्ञ में आहुति देता है। दानदाताओं की दानशीलता ने उत्थान भवन के निर्माण में धन की कमी नहीं आने दी।
टीम के कर्मठ साथियों की कठोर मेहनत और दानदाताओं की सहयोग से वह अद्भुत और अद्वितीय दिन आया जब उत्थान भवन का उद्घाटन किया जाना था। दिनांक 21 मई 2019 का दिन एक ऐतिहासिक दिन बन गया; जब टीम का प्रत्येक साथी और दानदाता सपनों के भवन उत्थान भवन को देखने के लिए लालायित हो उठा। राज्य के विभिन्न हिस्सों से पधारे हुए बुद्धिजीवियों, पत्रकार बंधुओं, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति में उत्थान भवन का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ और उत्थान भवन में अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ। टीम के साथियों का मानना था कि उत्थान भवन की भूमि को हम अपने खून से सींचना चाहते हैं; रक्तदान जीवनदान होता है और हम अपना जीवन उत्थान भवन के लिए देना चाहते हैं और इसी भावना से ओतप्रोत होकर; टीम के कर्मठ एवं नौजवान सदस्यों ने उत्थान की पावन भूमि पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर मानवता की सेवा का एक अनूठा उदाहरण पेश किया। इस शिविर में 55 रक्तवीरों ने रक्तदान कर लोगों में रक्तदान संबंधी व्याप्त नकारात्मक धारणा को बदलने का संदेश प्रसारित किया। उत्थान भवन के उद्घाटन के बाद से ही इसमें सैकड़ों विद्यार्थी अनुभवी शिक्षकों के सानिध्य और मार्गदर्शन में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए अपने भविष्य को संवारने लगे हुए हैं। इस उत्थान कोचिंग संस्थान में शिक्षकों द्वारा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे रेलवे, एसएससी, पुलिस, बी.एड एवं बीएसटीसी इत्यादि की तैयारी कराई जा रही है। यहां विद्यार्थी ना केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं बल्कि वे नैतिकता एवं सामाजिकता की शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं। समय-समय पर शिक्षाविद एवं अधिकारीगण उत्थान भवन पर पधारकर परामर्श कक्षाएं लेते हैं इन परामर्श कक्षाओं में विद्यार्थियों को जीवन जीने का सलीका सीखने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उत्थान कोचिंग संस्थान के उद्देश्य का दायरा शिक्षार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराने तक ही सीमित नहीं है। यहां पर देश के भावी नागरिकों का चरित्र निर्माण भी किया जा रहा है, उन्हें संस्कारवान बनाया जा रहा है, उनमें सामाजिकता और राष्ट्रीयता की भावना विकसित की जा रही है जो किसी भी समाज और राष्ट्र के नैतिक उत्थान के लिए नितांत आवश्यक हैं। इस संस्थान में विद्यार्थियों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे बैठने की व्यवस्था, कूलर-पंखे एवं वाटर कूलर इत्यादि।
“जब हौसले को पंख लग जाएं तो ऊंची उड़ान भरने में क्या हर्ज है।' उत्थान भवन के भौतिक विकास का पहिया यहीं नहीं रुका। सामाजिक कार्यकर्ताओं के हौसले और जज्बे के बलबूते पर इस संस्थान को आधुनिक तकनीकी से लैस किया जा चुका है। संस्थान के प्रत्येक कमरे में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए जा चुके हैं; जो विद्यार्थियों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। डॉक्टर सत्यपाल मीना जी ने लोगों को विश्वास दिलाया कि भविष्य में उत्थान-भवन में ऑनलाइन क्लासेज, बहुआयामी कौशल विकास केंद्र "स्किल डेवलपमेंट सेंटर" शुरू किया जाएगा; जिसमें क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। यह "स्किल डेवलपमेंट सेंटर" युवाओं की सरकारी नौकरियों पर निर्भरता और बेरोज़गारी को कम करने में कारगर साबित होगा। आने वाले समय में उत्थान-भवन विकास और शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।
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