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“सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण_आज की सबसे बड़ी आवश्यकता”

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मानव जाति अपने इतिहास के सबसे कठिन और अभूतपूर्व दौर से गुजर रही है। शायद यह पहला अवसर है ; जब पृथ्वी पर सबसे विकसित समझे जाने वाली मानव जाति अपने आप को घरों में कैद करने के लिए मजबूर हैं। मानव जाति स्वीकार करने को मजबूर है कि देश , राष्ट , भाषा , संस्कृति , धर्म , व्यवसाय , गरीब और अमीर की सीमाएं मानव निर्मित हैं ; अन्यथा प्रकृति के समक्ष हम सभी समान और अंतर्निर्भर हैं। व्यक्तिगत स्वास्थ्य सामाजिक स्वास्थ्य से गहरे रूप से संबंधित है। स्वास्थ्य एक व्यक्तिगत विशेषाधिकार ना होकर सामाजिक आवश्यकता है जिससे हमारा जीवन , परिवार , समाज और देश सीधे रूप से प्रभावित होता है। स्वास्थ्य देश की समृद्धि और विकास को निर्धारित करने में सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। 30 जनवरी भारत के केरल राज्य में कोविड- 19 पहला केस का दर्ज होना , 11 मार्च को विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस द्वारा कोविड- 19 वैश्‍विक महामारी घोषित करना , 22 मार्च को जनता कर्फ्यू , उसके बाद 21 दिन का लॉकडाउन और इसके उपरांत भी कोविड- 19 के मरीजों की संख्या में निरंतर प्रगति हमें स्वास्थ सेवाओं