"अच्छाई और बुराई का आत्मिक पैमाना"

“सोच बदलो-गाँव बदलो [Transform Thought-Transform Village]”                                                                                                                                                                                       दोस्तों सुप्रभात!

 हम सभी के जीवन में एक समय आता है; जब हमें सही या गलत का निर्णय करना होता है और दोनों में से एक का चुनाव करना होता है। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमें पता हो कि सही क्या है और गलत क्या है। दोस्तों इसके विषय में, मैं, अपने अनुभव पर आधारित, "अच्छाई और बुराई का आत्मिक पैमाना" साझा कर रहा हूं; मेरा पूरा विश्वास है कि यह आप लोगों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा है।

1. सही व अच्छा  क्या है:-  आप जिस सोच,  विचार, विषय, या कार्य को परिवार व समाज के साथ साझा कर सकें; साझा करने में खुशी हो और आपका अंतर्मन बार बार बोले कि मुझे यह अपने माता-पिता को, अपने दोस्तों को और समाज में लोगों को बताना चाहिए; तो आप सुनिश्चित हो जाए कि यह सही है| उदाहरण के लिए व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता या इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति या समाज हित में किया गया कार्य अपार खुशी व ताकत देता है और मनोबल को बढ़ाता है। 

2. गलत व बुरा क्या है:- आप जिस सोच,  विचार, विषय, या कार्य को परिवार व समाज के साथ साझा नहीं कर सकें| जिसे आप लोगों से छुपा के रखना चाहते हो और सोचते हो कि किसी को भी  इस विषय में पता नहीं लगना चाहिए; तो समझ लो यह गलत है, असत्य है, बुराई है।

3. जीवन में उपयोग:- दोस्तों! इस सत्य-असत्य, अच्छाई और बुराई के पैमाने पर हम अपने आप को कभी भी माप सकते हैं| सही और गलत की पहचान स्वयं कर सकते हैं। जब भी आप कोई कार्य करने जा रहे हों या आपके मन में कोई विचार पैदा हो रहा हो और आप को संदेह हो कि यह सही है या गलत है तो आप तुरंत अपने आप से पूछिए कि क्या इस कार्य या विचार को मैं अपने परिवार, दोस्तों, समाज के साथ साझा करने में खुशी महसूस करूँगा या मैं इस बात को समाज, परिवार और दोस्तों से छुपाना चाहूँगा। इसका उत्तर अपने आप अंदर से आपको मिल जाएगा और आप तय कर पाएंगे कि क्या सही है और क्या गलत है। उदाहरण के लिए यदि मैं किसी दुर्व्यसन में पड़ गया हूं या पड़ने जा रहा हूं तो मेरी कोशिश यह रहेगी कि मैं इसको समाज से, परिवार से, अपने दोस्तों से छुपा कर रखूं|  परंतु, यदि आप व्यक्तिगत रूप  में किसी भी क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं; तो आप उसे अपने परिवार, समाज व दोस्तों के साथ में साझा करोगे और साझा करने के साथ-साथ वह कार्य आपको बहुत खुशी देगा| दोस्तों! आओ, वह काम करें जिसको करने में आपको स्वयं को, आपके परिवार को और आपके समाज को आप के ऊपर फक्र हो।

4. प्रकृति का अटल नियम:- प्रकृति का अटल नियम है कि अच्छाई को पुरस्कृत करना और बुराई को दंडित करना| जब आप किसी के लिए अच्छा सोचते हो, निस्वार्थ भाव से समाज सेवा का कोई कार्य करते हो तो आपको आपका अंतर्मन शाबाशी देता है, आप अपने अंदर खुशी और आनंद महसूस करते हैं और आपको कार्य करने की दुगनी ताकत, ऊर्जा भी कुदरत से मिलती है। इसी तरह जब आप किसी व्यक्ति के साथ गलत करते हो या किसी के लिए बुरा सोचते हो;  तो आपको खुशी और आनंद नहीं मिल सकता| आप अपने अंतर्मन में परेशान व  दुखी होते हो| 

Comments

Popular posts from this blog

"Success story of Smart Village Dhanora of Dholpur, Rajasthan"

“उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी”

“सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण_आज की सबसे बड़ी आवश्यकता”