"लोगों की सक्रिय भागीदारी विकास का आधार"
"लोगों की सक्रिय भागीदारी विकास का आधार" गांवों या शहरों में अपेक्षित विकास के अभाव का कारण, सरकारी योजनाओं और सरकारी निधि (FUND) की कमी नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं व उनके क्रियान्वयन की प्रकिया की सही जानकारी का अभाव तथा सरकारी निधि के सदुपयोग के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है। वर्तमान में विकास प्रकिया में सक्रिय जन भागीदारी अथवा जन सहभागिता का अभाव ही नहीं, बल्कि पूर्ण उदासीनता भी है । "कोउ नृप होउ, हमें का हानि" कहावत आज भी प्रासंगिक है । लोकतंत्र केवल एक चुनावी प्रकिया मात्र बनकर रह गया है और चुनाव आज भी जाति, धर्म, संप्रदाय की राजनीति के इर्द-गिर्द धनबल, गुंडागर्दी, घृणा और नफरत फैलाने वाले हथियारों के सहारे संचालित हैं। स्वास्थ्य सुविधाएँ, अच्छी शिक्षा, स्वच्छ पेयजल, आवास सुविधा, कानून व्यवस्था इत्यादि आज भी हमारे लिए कभी सच न होने वाले सपने हैं। इन परिस्थितियों में केवल सरकार और प्रशासन की आलोचना करना और अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन न करना लोकतंत्र का सबसे बड़ा अ...