"मैं भी विकास का हिस्सा बनाना चाहता हूँ "

मैंने, ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के कारण,  ग्रामीण जीवन की बारीकियों और सच्चाईयों को  बहुत नजदीक से देखा है और आज भी बहुत करीब से देखता और महसूस करता हूँ । ग्रामीण जीवन की सुंदरता और कठिनाईयों को कवियों और लेखकों ने अपनी अपनी लेखनी से समाज के सामने उकेरा है और उनकी ओर ध्यान खींचा है। मैं ग्रामीण जीवन की उन वास्तविकताओं की ओर आप का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ जो आज भी उनके विकास की सबसे बड़ी बाधा है। वर्तमान आर्थिक समाज की सच्चाई यह है कि अच्छा कमाने के लिए, आपको अच्छा पढ़ा लिखा होना चाहिए। इंग्लिश भाषा में इसे "Development as good human resource" कहा जाता है।  अच्छी पढ़ाई करने के लिए आपको अच्छे विद्यालयों  और अच्छे अध्यापकों की शख्त  आवश्यकता  होती है और इससे भी बड़ी आवश्यकता होती है कि बच्चे को विद्यालय भेजने और पढ़ाने  कि माँ-बाप की क्षमता।  ये स्वीकार्य सत्य है कि 67 वर्षों में भी हम अच्छे विद्यालय नहीं बना पाये हैं और गावों की स्थिति तो और भी भयावह  है।  शिक्षा की बुनियादी आवश्यक्ताओं  जैसे  बिल्डिंग, बिजली, पानी और शौचालयों की आज भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। गाँव का बच्चा आज भी इन्हीं विद्यालयों में पढ़ता है और आगे की पढ़ाई तो  माँ-बाप की क्षमता पर ही निर्भर करती है। आज भी हम अपने बच्चों को सिर्फ़ साक्षर बनाने की मुहिम को पूरा करने  के लिए संघर्षरत हैं। इन परिस्थितियों में क्या  "good human resource"  का  विकास संभव है ? क्या वह अच्छा काम प्राप्त कर पाएगा?  क्या अच्छा कमा पाएगा जिससे कि माँ-बाप का कर्ज चुका सके, अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा सके  और जीवन कि बुनियादी आवश्यक्ताओं को पूरा कर सके? मेरा अनुभव कहता है नहीं। गाँव का बच्चा माँ-बाप कि गरीबी और अच्छी शिक्षा कि उपलव्ध्ता के अभाव में  गरीबी के चक्र से बाहर नहीं निकल पाता  है। उसकी  अगली पीढ़ी भी इस चक्र मे फंसकर रह जाती है ।  ये गरीबी का चक्र सदियों से चला रहा है।  हमारे संविधान निर्माताओं  ने इस दुष्चक्र को समझा और समाज को इससे निकालने के प्रावधान संविधान में किए थे, परन्तु,  इसका  किसी भी सरकार ने सच्चे अर्थों में क्रियान्वयन नहीं किया। यह सही है कि सरकार का बहुत  पैसा इसपर खर्च किया जा रहा है, परन्तु,  इसका लाभ जरूरतमन्द लोगों तक नहीं पहुँचा है और अभी भी नहीं पहुँच रहा है। आज भी समाज का अंतिम व्यक्ति पुकार रहा है कि मैं भी विकास का हिस्सा बनाना चाहता हूँ । मुझे भी इस समाज में सम्मान के साथ जीने और समाज के विकास के लाभ पाने का अधिकार है।
Blog will continue......

Comments

  1. well said sir. What i have observed in last 7-8 years is that people from rural areas have started realizing the importance of education. Earlier they had less faith in education. I remember my father saying "Padhke kya hi karega, karni to kheti hi hai". Now situation has reversed. People are investing in education. now they cannot compromise with their children's education at any cost.
    some bright students like you sir have set an example and has become a source of inspiration. This all will surely take us to the bright future.

    All the best for your blog bhaiya :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bhanwar, "Padhke kya hi karega, karni to kheti hi hai" this quote is still has existence and I have alos heard it. Best of Luck Do your best.

      Delete
  2. Mind blowing..........truly "Development as good human resource"............the need of the hour...................

    ReplyDelete
  3. Dear Satyapal, it is good that you started writing this blog. I have seen your dedication in work and your commitment for rural folks. Your writing will come straight from heart and hence will appeal to heart. I will like to read more from you..

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks a lot sir, much humbled. your thoughts and working always inspire and motivate me. I deeply feel from my heart that we people are very lucky to be civil servent, we owe to our socity and we must deliver to it.

      Delete
  4. Very nice blog sir, its really true that without education rural area can not be developed. dream of becoming "Developed India" can not be achieved without impowering rural area.

    ReplyDelete
  5. Jayesh thanks to your wisdom and commitment to poors

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"Success story of Smart Village Dhanora of Dholpur, Rajasthan"

“उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी”

“सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण_आज की सबसे बड़ी आवश्यकता”