“उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी”
“उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी”#SBGBT उत्थान-भवन सरमथुरा" के उत्थान की कहानी “पैसों की तंगी-तालीम के आड़े नहीं आती" इस कहावत को और महान कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रश्मिरथी में लिखित पंक्तियों “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है” को सार्थक करती है। यह सर्व विदित है कि मानव जाति के विकास की आधारशिला शिक्षा है। एक सुव्यवस्थित शिक्षा प्रणाली ही मानव को सुसंस्कृत, संवेदनशील एवं विवेकशील बनाने के साथ विचारवान भी बनाती है। शिक्षा ही किसी भी समाज एवं राष्ट्र के विकास,उसकी समृद्धि एवं संपन्नता का मूल होती है। किसी भी समाज और राष्ट्र का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उस समाज और राष्ट्र में लोगों को कितनी गुणवत्तापूर्ण सुलभ शिक्षा उपलब्ध है। भारत की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा गांवों में वास करता है। ऐसे में गांवों के विकास द्वारा ही देश का विकास सुनिश्चित किया जा सकता है और शिक्षा की इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। “उत्थान-भवन सरमथुरा" इस क्षेत्र के लोगों की शिक्षा के प्रति जागरूकता और अपने बच्चों को शिक्षित कर...